भारत दुनिया के ऐसे देशों में शामिल है जहां बहुत सारी स्वास्थ्य योजनाएं अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) के हाल ही में पेश रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य पर खर्च के मामले में 191 देशों में भारत 164वें पायदान पर है।
इस तरह चीन के सरकारी खर्च से 30 प्रतिशत तक कम है। देश में खराब स्वास्थ्य का प्रमुख कारण सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर कम खर्च करना है, जो दुनिया में सबसे कम है। इसके मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने स्वास्थ्य बजट में वृद्धि की मांग की है।
योजना आयोग की ओर से बनाए गए यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज के उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह ने नवंबर 2011 में 2022 के लिए रिपोर्ट दी थी। इसमें स्वास्थ्य फाइनेंस, स्वास्थ्य ढांचे, स्वास्थ्य सेवा शर्तें, कुशल कामगारों, दवाओं और वैक्सीन तक पहुंच, प्रबंधकीय और संस्थागत सुधार और सामुदायिक भागेदारी जैसे क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की बात कही गई थी।
आयोग के अनुमान के मुताबिक, 12वीं योजना के तहत 2012 से 2017 के दौरान 3.30 करोड़ खर्च किए जाने का अनुमान है। आयोग ने कहा कि हम 12वीं योजना के तीसरे साल में प्रवेश कर चुके हैं और अभी इस बजट का बहुत छोटा हिस्सा मिल पाया है।
आईएमए के महासचिव डॉ केके अग्रवाल का कहना है कि सरकार को मौजूदा जीडीपी 1.1 प्रतिशत बजट खर्च को बढ़ा कर 12वीं योजना के तहत कम से कम 2.5 प्रतिशत तक करना चाहिए और 2022 तक जीडीपी का 3 प्रतिशत होना चाहिए।
सरकार को चाहिए कि वह प्राथमिक स्वास्थ्य पर 55 प्रतिशत, द्वितीयक पर 35 प्रतिशत और तीसरे देखभाल सेवाओं पर 10 प्रतिशत तक बजट खर्च करने का प्रावधान करे।
इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(आईएमए) ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि केंद्र सरकार द्वारा दी जानी वाली अतिरिक्त राशि सीधे प्राइमरी हेल्थ केयर और सेकंडरी हेल्थ केयर के पहले स्तर पर स्वास्थ्य ढांचे और पेशेवरों की कमी को पूरा करने पर खर्च होना चाहिए।
इसके अलावा सरकारी स्तर पर दवाइयों की खरीद के लिए 0.1 प्रतिशत से बढ़ाकर जीडीपी का 0.5 प्रतिशत खर्च होना चाहिए।सरकार को ऐसा कानून बनाना चाहिए जो दवा कंपनियों को बाजार में ट्रेड नाम प्रयोग करने से रोके।
दवाएं केवल कैमिकल के नाम से बिकनी चाहिए। दवाएं उच्च गुणवत्ता की उपलब्ध हों और इसकी निगरानी का ढांचा भी विकसित होना चाहिए।
इसके अलावा सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पानी, स्वच्छता और साफ-सफाई मुख्य कारक हैं।
सरकार को न सिर्फ इस क्षेत्र का बजट बढ़ाना चाहिए बल्कि वह पैसा सही तरीके और सही समय के अंदर खर्च हो। इसके अलावा सरकार स्वास्थ्य जागरूकता योजनाओं पर होने वाले खर्च के बजट में भी बढ़ोतरी करे।